भारतीय वायुसेना ने लाहौल स्पीति और लद्दाख जैसे कई वायुपत्तनों को विकसित कर दिया है, जिससे न सिर्फ मिलिट्री को फायदा है बल्कि यहां पर पर्यटन केंद्र भी विकसित हो गए हैं।
भारतीय वायुसेना विजय नगर एयरफ़ील्ड को विकसित करने की योजना बना रही है। विजय नगर चीन की सीमा पर एक अलग-थलग पठार है और चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है। यह एडवांस लैंडिंग ग्राउंड या फिर टेंपरेरी एयरफील्ड उन 7 निर्धारित स्थानों में से है, जिन्हें पिछले 8 वर्षों में विकसित करने की योजना बनाई गई है। पिछले वर्षों में 6 ऐसे एयरफील्ड विकसित किये गये हैं परंतु विजय नगर एयरफील्ड के विकास की प्रक्रिया 2016 में अमल में आयी। अरुणाचल सरकार ने इसी तरह डेढ़ सौ किलोमीटर की सड़क घने जंगलों के बीच से चीन की सीमा के किनारे-किनारे बनाई। इस तरह की सिविल-मिलिट्री संयुक्त योजनाएं साकार रूप ले सकें तो खुशी की बात है क्योंकि चीन की सीमा पर संसाधनों के विकास में देरी हो रही थी। वहीं आसपास ऐसे स्थान भी हैं जहां नागरिकों के लिए संसाधनों के विकास की संभावनाएं हैं। कुछ एयरपोर्ट आज देश में ऐसे हैं जो सिविल-वायुसेवा के बड़े केंद्र बन गए हैं, जो एक जमाने में सिर्फ मिलिट्री बेस के लिए थे, जैसे कि चंडीगढ़, गोवा और पुणे व नेपाल सीमावर्ती गोरखपुर। भारतीय वायुसेना ने लाहौल स्पीति और लद्दाख जैसे कई वायुपत्तनों को विकसित कर दिया है, जिससे न सिर्फ मिलिट्री को फायदा है बल्कि यहां पर पर्यटन केंद्र भी विकसित हो गए हैं।महत्वपूर्ण यह है कि अब इन स्थानों पर सड़क आदि की नागरिक सुविधाएं भी विकसित हो गई हैं। सुविधाओं और संसाधनों के विकास से इन क्षेत्रों में नागरिक सुविधाएं बढऩे से यह इलाका देश की मुख्यधारा से जुड़ेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी समाप्त हो जाएगा। उदाहरण हम चीन से ले सकते हैं, जैसा कि चीन ने तिब्बत में 6 मॉडर्न सिविलियन हवाई अड्डे विकसित करके तिब्बत पर पकड़ मजबूत की है।